आपमें से बहुत से लोगों ने D2M Technology के बारे में अवश्य ही सुने होंगे यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसके माध्यम से लोग बिना किसी इंटरनेट एवं सिम कार्ड के वीडियो को देख सकेंगे | आज हमारे लिए इंटरनेट कितना महत्वपूर्ण है यह हम सभी जानते ही हैं हमारे दिन की शुरुआत मोबाइल से ही होती है, हमारे आस – पास, देशों में जितनी भी खबरें होती हैं उन्हें हम इंटरनेट के जरिये ही देख पाते हैं किन्तु आपदा प्रबंधन की स्थिति में एवं किसी क्षेत्र में अगर इंटरनेट कुछ समय के लिए बैन हो जाता है तो हम किसी भी जानकारी तक नहीं पहुंच पाते |
इन्हीं सब सुविधाओं को देखते हुए D2M Technology का निर्माण किया गया है तो आज मैं आपको इस आर्टिकल में इस टेक्नोलॉजी से सम्बन्धित बहुत सी जानकारियां दूंगी तो इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को अंतिम तक अवश्य पढ़ें |
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D2M टेक्नोलॉजी क्या है What Is D2M Technology
D2M Technology का पूरा नाम डायरेक्ट टू मोबाइल टेक्नोलॉजी है यह एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से आप बिना किसी इंटरनेट एवं सिम कार्ड के अपने मोबाइल में वीडियो, न्यूज इत्यादि देख सकते हैं | यह बिल्कुल DTH एवं FM रेडियो की तरह काम करती है |
इस तकनीक को IIT कानपूर के द्वारा विकसित किया गया है किन्तु यह टेक्नोलॉजी अभी पूर्ण रूप से लॉन्च नहीं की गयी है इसमें अभी काम जारी है, लगभग 19 शहरों में इस तकनीक का ट्रायल किया जायेगा इससे पहले 3 शहरों बेंगलुरु, नोएडा और कर्तव्य पथ पर ट्रायल किया गया था | आइये अब यह समझते हैं की आखिर यह टेक्नोलॉजी काम कैसे करती है किन्तु इससे पहले हम समझेंगे की DTH यानी की डायरेक्ट टू होम तकनीक कैसे काम करता है |
डायरेक्ट टू होम टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है How Does Direct To Home Technology Works
DTH यानी डायरेक्ट टू होम टेक्नोलॉजी को उपग्रहों के माध्यम से टीवी पर सीधे चैनलों को प्रसारित किया जाता है, उपग्रहों द्वारा भेजे गए सिग्नल को एक DTH एंटेना होती है जिसे रिसीव करता जिसे हम छतरी भी कहते हैं और इसे छत पर लगाया जाता है जिससे सिग्नल मिल सके | जब DTH एंटेना सिग्नल को रिसीव करता है तो केबल के माध्यम से सेट टॉप बॉक्स तक वह सिग्नल पहुंचता है फिर चैनलों को टीवी में प्रसारित किया जाता है तो इस प्रकार से यह टेक्नोलॉजी काम करती है |
D2M टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है How Does D2M Technology Work
जैसा की मैं आपको पहले ही बताई की यह तकनीक DTH तकनीक के आधार पर काम करती है यानी की D2M Technology को काम करने के लिए स्मार्टफोन में एक चिप लगाया जायेगा जो की रिसीवर की तरह काम करेगा और फिर उपग्रहों द्वारा भेजे गए सिग्नल को वह चिप डिटेक्ट करेगा जिसके बाद मोबाइल में लाइव वीडियो, मल्टीमीडिया कंटेंट इत्यादि दिखाई जाएगी |
इस टेक्नोलॉजी को आपदा प्रबंधन, आपातकालीन स्थिति, किसी क्षेत्रों में इंटरनेट बैन और ग्रामीण क्षेत्रों जहां पर इंटरनेट की सेवा नहीं पहुंच पाती के लिए उपयोग की गयी है जिससे उपयोगकर्ताओं को बिना इंटरनेट सेवा के उन तक जानकारियां पहुंच सके |
D2M टेक्नोलॉजी के क्या फायदे हैं What Are The Benefits Of D2M Technology
D2M Technology के निम्न फायदे हैं जैसे:-
- आपदा प्रबंधन में मदद:-
आप ऐसी जगह गए हैं जहां पर आपदा प्रबंधन का खतरा है तो ऐसे में आप इस टेक्नोलॉजी की मदद से अपने जगह की लोकेशन भेज कर जानकारी दे सकते हैं |
- इंटरनेट सेवा कम होना:-
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इंटरनेट की समस्या देखने को मिलती है जिससे वहां के बच्चों पर शिक्षा का प्रभाव पड़ता है और इंटरनेट न होने की वजह से उनके पढ़ने में दिक्कत आती है या आप यात्रा कर रहे हैं तो उस दौरान बीच – बीच में इंटरनेट कनेक्शन खत्म हो जाता है, ऐसे में यह टेक्नोलॉजी काफी सहायक है और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जिससे उन तक जानकारियां पहुंच सके और बच्चे भी अपनी शिक्षा पूर्ण कर सके |
- इंटरनेट बैन होने पर:-
कई बार ऐसा होता है जिससे कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा कुछ समय के लिए बैन कर दी जाती है जिसके वजह से आपके आस – पास भी हो रही खबरों से आप वंचित रह जाते हैं ऐसे में यह टेक्नोलॉजी के उपयोग से आप इंटरनेट सेवा बंद होने पर भी अपने आस – पास हो रही खबरों को जान सकते हैं |
- मुफ्त में वीडियो का लाभ:-
इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा यह है की आप बिना किसी इंटरनेट के मुफ्त में लाइव वीडियो, कंटेंट, न्यूज इत्यादि देख सकेंगे |
- बैंडविड्थ पर कम प्रभाव:-
हम अधिकतर अपने मोबाइल में वीडियो ही देखते हैं जिससे बैंडविड्थ की कमी हो जाती है और अन्य काम करने में देरी होती है, ऐसे में इस टेक्नोलॉजी से आप बिना इंटरनेट के वीडियो देख सकते हैं, जिससे अन्य काम जो इंटरनेट के जरिये होती है वह अधिक फास्ट होगी |
D2M टेक्नोलॉजी के क्या नुकसान हैं What Are The Disadvantages Of D2M Technology
D2M Technology के फायदों के साथ इसके नुकसान भी हैं जो इस प्रकार है:-
- अभी यह टेक्नोलॉजी पूर्ण रूप से विकसित नहीं की गयी है इसे अभी केवल कुछ शहरों में ही ट्रायल किया जायेगा |
- मौजूदा स्मार्टफन में यह टेक्नोलॉजी काम नहीं करेगी इसके लिए अलग से स्मार्टफोन लॉन्च किये जायेंगे जिससे कीमत अधिक भी हो सकती है |
- इस टेक्नोलॉजी के उपयोग से देखी जाने वाली वीडियो की गुणवत्ता में कमी आ सकती है |
- इस टेक्नोलॉजी में आप केवल कुछ सिमित वीडियो, कंटेंट ही देख पाएंगे |
D2M टेक्नोलॉजी से होने वाली चुनौतियाँ Challenges Faced By D2M Technology
D2M Technology से सरकार को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे:-
- इस टेक्नोलॉजी को पूर्ण रूप से उपयोगकर्ताओं के बीच लाने के लिए नए स्मार्टफोन का निर्माण करना होगा और इस टेक्नोलॉजी को इसमें फीट करनी पड़ेगी जिससे खर्च अधिक हो सकता है |
- इस टेक्नोलॉजी के आने से बड़ी – बड़ी कंपनियां जैसे टेलीकॉम, जियो इत्यादि जिन्हें इनसे नुकसान होगा वह इस टेक्नोलॉजी का विरोध कर रहे हैं, जिससे सरकार को उन सभी के साथ मिलकर बातचीत करनी होगी जो की इतनी जल्दी मुमकिन नहीं है |
- सरकार को बड़े घने नेटवर्क का निर्माण करना होगा जिससे की यह टेक्नोलॉजी प्रसारित की जा सके |
निष्कर्ष Conclusion
इस आर्टिकल में आपने सीखा की D2M टेक्नोलॉजी क्या है, यह कैसे काम करती है इत्यादि इस टेक्नोलॉजी को अभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं किया गया है भविष्य में इसे आने वाले 1 से 2 सालों में लॉन्च किया जा सकता है | अगर यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह से विकसित हो जाती है तो ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों और इंटरनेट सेवा जहां किसी स्थान में कम होती है ऐसे लोगों को काफी फायदा मिल सकेगा और शिक्षा प्रणाली भी बेहतर हो जाएगी |
मैं आशा करती हूँ आपको यह आर्टिकल बेहद पसंद आये होंगे अगर आपके पास किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न हो तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं | इसके अतिरिक्त अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ भी अवश्य शेयर करें धन्यवाद |
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D2M टेक्नोलॉजी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs On D2M Technology
Q1. D2M तकनीक का आविष्कार किसने किया?
Ans – D2M तकनीक को सांख्य लैब्स और IIT कानपुर द्वारा विकसित किया गया है जिससे मोबाइल पर बिना किसी इंटरनेट और सिम कार्ड के वीडियो, ऑडियो इत्यादि देखा जा सकता है |
Q2. D2M तकनीक को कितने शहरों में ट्रायल किया जायेगा?
Ans – D2M तकनीक को अभी 19 शहरों में ट्रायल किया जायेगा इससे पहले तीन शहरों बेंगलुरु, कर्तव्य पथ और नोएडा में इस टेक्नोलॉजी का ट्रायल किया गया था |
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